इस रंग रंगीली दुनिया में, हर इन्सां है बदरंग
फिर भी देख ऐ मन बावरे, हर कोई खेले है सतरंज
सुना बहुत है, है दुनिया कोई इश्क वालों की, जहाँ है सुकूं
यहाँ तो बस करते देखा इन्सां को अपनों का ही खूं
क्या सच है और क्या है भरम, ये कौन है बता पा रहा
हर जगह देखो इक कठपुतली, इक कठपुतली है नचा रहा।
– DT