कहा टिकता है कोई जर्रार मेरे सामने , आज दिल जंगजू बहोत है |
रहेगा आसमान भी मेरे कदमो तले , आज परवाज बुलंद बहोत है | H.P.RAHI
जर्रार – बहोत बड़ी सेना , परवाज़ – उडान |
कहा टिकता है कोई जर्रार मेरे सामने , आज दिल जंगजू बहोत है |
रहेगा आसमान भी मेरे कदमो तले , आज परवाज बुलंद बहोत है | H.P.RAHI
जर्रार – बहोत बड़ी सेना , परवाज़ – उडान |
तेरी बाहे सुनी राहें छोड़ कर जा चुकी होंगी ,
कही तो आग लगी होगी , कही बरसात हुई होगी |
रहा करते थे जिनकी धडकनों में हम ,
तडपता छोड़ कर जाना उनकी आदते होंगी |
उन्हें हम ग़म के मारो का मसीहा कहते फिरते थे ,
के मसीहा बन के तरसाना उनकी ख्वाहिशे होंगी |
लरबते होठो के प्याले छुआ करते थे होठो से ,
मगर दिल ही न छु पाए , यह अपनी किस्मते होंगी |
कि सागर के छलकने से यह साहिल टूट जाते है ,
कि कश्ती का बिखर जाना उनकी रहमते होंगी |
H.P.RAHI
सजदा मुनासिब हो अगर वादाखिलाफी हो जाये ,
बेकसी पर नज़र से भरी कुछ खता तो हो जाये |H.P.RAHI
बेकसी – बेबसी |
मेरा कम नहीं है हौसला , न यु अदा से मिला करो ,
मेरे घर में भी है आइना , न नज़र से इतनी दुआ करो |
मुझे ग़म नहीं किसी और का , जैसी भी यह ज़ीस्त सही ,
मुझे कह दो बेवफा मगर , न इस तरह से वफ़ा करो |
सौ बार के ग़म से बेहतर एक जान ही दे दे न क्यों ,
एक कोशिश तो पूरी होने दो , न मुझे यु साँसे दिया करो |
जीस्त – जिंदगी |
H.P.RAHI
कुछ इस तरह बरसा है मौसम..बस रात है इन आखों में
कुछ इस तरह तनहा है मौसम..बात सिर्फ तेरी मेरी बातों में
तू सुन रही है अगर मुझे..कोई इक इशारा तो दे
जीने का बहाना मिले..शायद तेरे इशारों में
सुना है..आते हैं मौसम चार बीतते इन सालों में
हमारा तो अब एक है मौसम ज़िन्दगी की राहों में
DT
एक ‘राही’ भुला भटका सा , दो चार कदम पर मंजिल क्या ,
यह बहोत आम सी जिंदगी , एक उम्र जिए तो जिए ही क्या |
हर शाम थकी इन राहो को मैं घर की राह दिखाता हूँ ,
कुछ करने की यह जिद ही सही , दो ख्वाब ही देख लिए तो क्या |
खुद अपनी जमीं पे अपना आसमान उगायेंगे ,
चाहे सितारे साथ नहीं , दो चाँद ही बो दिए तो क्या |
अपने लिए सब एक बराबर जश्न का मौका होता है ,
वो रात का सन्नाटा कैसा , और दिन का पागलपन ही क्या |
H.P.RAHI
एक दिन कुछ ऐसा आया मेरी ज़िन्दगी में..
कोई यादें रह गया..
कोई पिंजर रह गया!!
DT
हर आहट में बस आहट तेरी है…
हर चेहरे में बस सूरत तेरी है..
लोग कहते हैं की तू नहीं है..
हमारी तो हर इबादत में बस चाहत तेरी है!!!
DT
न जाने कितने दिनों बाद लिखने का मन किया है..
न जाने इस बीच मैंने क्या जीया है..
शायद बीत गया एक अरसा एक लम्हा जैसे..
लाऊंगा वो लम्हे अब में वापिस कैसे..
कुछ दर्द मिला होगा उनमें जो वापिस यहाँ हूँ..
देखो मैं आज फिर कुछ लिखने लगा हूँ..
कुछ टूटा सा, कुछ फूटा सा..
एक साथी कहीं कोई छूटा सा..
कोशिश कर रहा हूँ में वो कहानी बताने की..
कोशिश मेरी फिर से है इक शेर बनाने की!
DT
एक गुजरती हुई शाम बन गयी हो तुम..
जो मदहोश कर दे वो जाम बन गयी हो तुम..
इस कदर तेरी यादों में खोये रहते हैं की..
मेरी तन्हाई का नाम बन गयी हो तुम!
DT
गुजर रहे थे हम राहों से..तेरी खुशबु सी आई,
हिम्मत नहीं हुई की तुझे ढूंढ़ सकें..बस जरा आखें भर आई,
इस कदर बसे हो सासों में तुम..शायद ज़िन्दगी भी हमे जुदा न कर पायी
DT
हर तरफ हर वक़्त धुआं सा रहता है |
एक धुप का टुकडा डरा सा रहता है |
जब भी गुज़रा मैं जली इन बस्तियों से ,
तजरूबा मेरा बुरा सा रहता है |
आपके शहर से दोस्ती हो कैसे ,
हर शख्स कितने शख्स बना सा रहता है |
जिन्दगी एक तपिश सी क्यों है ,
जो भी जीता है , जला सा रहता है |
H.P.RAHI
सुन मेरे खुदा , आज मुझ पर एक करम कर ही दे,
मुझे वक़्त से कुछ पल के लिए आजाद कर दे,
कही किसी मोड़ पर कोई छुट गया है,
उसे जरा फिर एक झलक देख आऊ,
हो सके तो थोडी सी सांस ले आऊ ,
जिदगी का भरोसा मेने खूब देखा है ,
आज नहीं गया तो न जाने फिर कब वक़्त मिलेगा मुझे ,
आदत नहीं है , तनहा सफ़र होता नहीं है मुझसे ,
वोह कोई रहगुज़र जो मेरे साथ हमेशा थी ,
बस उस पर से कुछ कदमो के निशान ही ले आऊ ,
मैं जाकर वोह खुशबू ही कैद कर ले आऊ,
जो महका देती थी मेरे हर जर्रे को ,
जो अनुभव बस बन कर रह गया है एक अहसास ही |
H.P.RAHI
देखना चाहे कोई उनको तो हर जगह देखे ,
पर हर नजारे की नज़र हो यह जरूरी तो नहीं |
उनकी आँखों के निशाने से ही मर जाए लेकिन ,
उस निशाने पर यह दिल हो यह जरूरी तो नहीं |H.P.RAHI
दबे दबे से गीत के पीछे जाने क्या राज है ,
क्या तुम्हारा प्यार मेरे लिए अब बिना परवाज है |
आज दर पर आहट हुयी , पर कुछ रौशनी न हुयी ,
दिल तक न पहूची यह तुम्हारी कौनसी आवाज है |
जानते है यह संसार है नापाक तो होगा ही ,
पर हमारे बीच में यह कौन जालसाज़ है |
तुम्हारे इनकार कि कुछ तो वजह होगी ,
नैन , दिल , लब या कैश , कही कोई तो नाराज़ है |
H.P.RAHI
wrote after getting harassed with kota exeperience.
उम्मीदे मिटती चली गयी , रास्ते जलते चले गए ,
जिंदगी का सफ़र चल न पाए हम , हर दिन हर रात मरते चले गए |
उफनती नदिया सागर सी लगने लगी , सुखी हुयी नहरे सहरा सी लगने लगी ,
बिगडे आसान काम भी , हम खुद को ठगते चले गए |H.P.RAHI
सहरा – रेगिस्तान |
रात की खामोशियों को सुनना हमको आ गया ,
वोह नदी कुछ यु बही कि सागर ही मिलने आ गया | H.P.RAHI
कारवा गमो का गुजरा था मेरे दर से ,
हमारे हाथो से सागर टूटने से लगे है |
तुम्हारी दुआए हम तक पहुची ही थी ,
जिंदगी और मौत के सिरे छुने से लगे है |
भीगने लगी है जिंदगी की राहें ,
दिलो के जख्म सुबकने से लगे है |
अपने अंजुमन में क्या कमी थी आंसुओ की ,
वक़्त के कुछ और सितम जुड़ने से लगे है |
सागर – शराब का प्याला , अंजुमन – सभा |
H.P.RAHI
मेरी तन्हाइयो का साथी मुझको मिल गया ,
तिशनगी थी इतनी कि सारा मयकदा मैं पि गया |
मेरी पहचान का कोई काफिला गुजरा था मेरे दर से ,
शहनायिओ कि आवाज थी कि मैं सारी रात जी गया |
था नहीं यकीन कि इस तरह से गुजरोगी तुम मेरे सामने से ,
उस यकीन कि मौत थी कि जशने ग़म का आलम वोह दे गया |
वोह शब् कटी के मैं कटा कुछ भी नहीं खबर ,
था चुप्पियों का शोर के मेरा जख्म कुछ और खुल गया |
तिशनगी – प्यास , शब् – रात |
H.P.RAHI
वोह यार मेरा दिलदार मेरा कुछ अनसुना सा हो गया ,
जल गए हम भी कसक में , वोह दिलजला सा हो गया |
जब समंदर से मैं गुजरा साया अपना खो गया ,
जिसकी तलाश में था मैं भटका , ये सहरा पासवा सा हो गया |
उस किरण का था ये वादा , साथ में हमसाया होगा ,
बुझना ही बाकी था जिसका , जलजला सा हो गया |
उन दिलजलो की याद में नुकसान अपना हो गया ,
जो था कभी दुश्मन सा वोह , अब मेहरबा सा हो गया |
सहरा – रेगिस्तान |
H.P.RAHI