शुक्रिया के हमारे अंजुमन में आप आए है ,
सब ओर बरस रहे है जलवे , के सरकार आए है |
तुम्ही से रोशन हर महफिल , तुम्ही से रोशन हर लम्हा ,
के आज की शब रौशनी में नहाने यहाँ महताब आए है |
सरफरोशी कि तमन्ना थी हमारे दिल में भी ,
मगर अब करेंगे गुलामी आपकी , के आप शम्मे बहार लाये है |
दास्ताने सिफर सुनाते थे जो पैमाने कभी ,
वोह आज ख़ुद नशे में डूबने कि गुहार लाये है |
अंजुमन – सभा , शब् – रात , महताब – चाँद , सिफर – शुन्य |
H.P.RAHI