मौसमें गुल है अभी इसको गुज़र तो जाने दो
ऐ बहारो मुझको मेरे माज़ी से मिल जाने दो
आसमानो से परिंदे अलविदा कहते किसे है
जंगलो के राज है सब राज ही रह जाने दो
तेरे शहर के बाशिंदे कुछ मेरे गाँव में ठहरें हुए है
सितारो बादलो से निकलो ज़रा कुछ रोशनी हो जाने दो
सहराओं के कर्ज़ कितने थमती थमती साँसो पे है
जागती आखों के सागर कुछ छलक तो जाने दो ।
H.P.RAHI