जब कभी ऐतबार होता है
इश्क़ का इम्तेहां होता है
सिलसिलो की सुनु या दिल की सुनु
रोज़ ही इंतेज़ार होता है
किर्चियां उड़ के चुभ न जाये कही
आईने है, अश्क कौन कहता है
ख़ामख्वा लिख रहे हो, राही
राज़ क्यों कर बयान होता है H.P.RAHI
जब कभी ऐतबार होता है
इश्क़ का इम्तेहां होता है
सिलसिलो की सुनु या दिल की सुनु
रोज़ ही इंतेज़ार होता है
किर्चियां उड़ के चुभ न जाये कही
आईने है, अश्क कौन कहता है
ख़ामख्वा लिख रहे हो, राही
राज़ क्यों कर बयान होता है H.P.RAHI