ये जो मेरे पांव के छाले है,
ये दरअसल कुछ और है,
ये तुम्हारी सफेद वर्दी पे सजे हुए सितारे हैं।
जब मैं इन शानदार सड़कों पे गुजरता,
मील के पत्थरो को ताकता हूं,
कदम दर कदम अपने घर से खुद को थोड़ा और दूर पाता हू,
तुमने गति सीमा के खूब नए कीर्तिमान गढ़े है।
बहोत कम ही बोझ ले के निकला था,
बस कुछ एक जिस्म है मेरे साथ,
और थोड़ा बहुत भूख का सामान,
ये जो तुम्हारी राहतो की नुमाइशे है ना,
मैं इनसे इत्तेफाक रखता हू,
पर अभी सोचने का समय थोड़ा कम है,
अगर, पहोच गया, तो परखुंगा।
H.P.RAHI