आप हमसे यु खफा होते है
महफ़िलो में भी कही राज़ बयां होते है
मेरी नज़्मों में उन आँखो का ज़िक्र रहता है
मयकदो के यु सभी क़र्ज़ अदा होते है
तेरी जानिब कुछ फासले सा बढ़ता हूँ
सूखे हुए फूल जब किताबो से रिहा होते है | H.P.RAHI
आप हमसे यु खफा होते है
महफ़िलो में भी कही राज़ बयां होते है
मेरी नज़्मों में उन आँखो का ज़िक्र रहता है
मयकदो के यु सभी क़र्ज़ अदा होते है
तेरी जानिब कुछ फासले सा बढ़ता हूँ
सूखे हुए फूल जब किताबो से रिहा होते है | H.P.RAHI