सुबह को तेरा ख़त जो मिला था ,
सहरा में इक फूल खिला था |
तेरी आँखें याद आई थी ,
मयखाने को भूल गया था |
अँधेरा ही हकीकत थी मेरी ,
कोई दीप ले आया वोह तेरा ख़त था |
शाम को मैं फिर मयखाने में हूँ ,
जो मिला था, तेरा कोई पुराना ख़त था |
सहरा – रेगिस्तान
H.P.RAHI