जागती रहती है आंखे तेरी आहटे पाकर
यो गुजरते है ज़माने एतमादी होकर | H.P.RAHI
Tag: shayri
Adhuri Tu Adhura Main
कलेजा चीर के एक आह उठी
बस एक पल के ईंधन में , सदियों तक जली |
H.P.RAHI
Could not resist writing something after listening to the song from Mukkabaaz. Adhuri tu adhura main – https://www.youtube.com/watch?v=SoYkaiZxptY
dard bhi azeeb cheez hai
सिर्फ निशान बचे है उंगली पे अंगूठी के ,
दर्द भी अजीब चीज़ है ,
अहसास जुदा है हर बार । H.P.RAHI
nira chand
इतना आसान नहीं लहू रोना
दिल है जो धड़कने का सबब जानता है
क़त्ल हो जाता जमानो पहले
ये निरा चाँद मगर कब मानता है
H.P.RAHI
Zindagi
कुछ मायने कुछ आकार समझाती है
जिंदगी जब दर्द में मुस्कुराती है
H.P.RAHI
rindagi ( Shayri )
कभी शायद यु भी होता
इस रिंदगी का कुछ सिला होता
मैं मरता मगर मर के ही सही
मेरे नाम पे कोई मयकदा होता |
H.P.RAHI
furqate-e-yaar ( Shayri )
नज़्म कुर्बान कर दी , बस एक रात के लिए ,
नींद खा जाती , कागज़ पे जिंदा उतर आती जो ,
नज़्म का क्या है , कल फिर रूबरू हो आएगी ,
फुरकते यार है , नींद कहा रोज आएगी ।
H.P.RAHI
ahsaas ya jajbaat
कुछ लिखू दिल करता है,
क्या लिखू? अहसास या जज्बात?
अहसास लिखू तो फूल और खुशबू लिखू ,
और कांटे लिखू तो गुलाबी जज़्बात |H.P.RAHI
mahatva
तिनके का सहारा क्या होता है , आज मुझे मालूम हुआ ,
शैतानो की बस्ती में मुझे भा गया तेरा इंसान होना |H.P.RAHI
ulfat ke samaan
तेरे शहर में कैसे कैसे उल्फत के सामान मिले ,
जर्द सी गलियों में बेजा जिस्मो के औजार मिले |H.P.RAHI
dhup ke afsha
चाँद का वज़न कुछ बढ़ा हुआ सा मालूम होता है ,
आज फिजा में तपिश कुछ ज्यादा थी ,
दिन भर धुप के अफशाओ की खुराक ज्यादा हो गयी होगी|H.P.RAHI
अफशा – पकवान |
khajana
उडी है धुप , उस गुफा की तरफ , जिसका नाम दिल पड़ा था ,
तेरे नाम से जब भी सहर खोलता हूँ मैं ,
कुछ दिल के खजाने मैं कैद करता हूँ मैं |H.P.RAHI
fakiran
रात में ओढ़े चांदनी , दिन में सूरज चन्दन ,
दाना दाना पेट का जशन , और तिनका नशेमन ,
मौला , करम पे तेरे एक फकीरन , नसीबन |H.P.RAHI
salaam jaipur 2
Wrote after coming back to jaipur from kashmir trip in summer’11
हम पहुचे थे बड़ी जिद के साथ वादी ए कश्मीर ,
बहोत खुबसूरत है माना हमने, वादी ए कश्मीर ,
मगर हमें तो ज़िन्दगी की नमी इन लू के थपेड़ो में ही वापस मिली |H.P.RAHI
inayat ( Shayri )
तेरी पहली शिकायत मुझसे , एक शरारत की तरह ,
मुझपे असर अब तलक , एक इनायत की तरह | H.P.RAHI
Mehfooz ( Shayri )
कुछ इस तरह बह गए हम आखो से खू बनकर ,
तेरे तसव्वुर में रहते भी तो क्या महफूज़ होते ? H.P.RAHI
parivartan ( shayri )
परिवर्तन मुझे कभी पसंद नहीं आया ,
यह बात अलग है के आदत पड़ ही जाती है कुछ रोज़ बाद ,
समय की चारागरी मुझ पर भी असर रखती है | H.P.RAHI
khwahishe ( shayri )
कभी जीते थे मुफलिसी में ,
अब भी जीते है मुफलिसों से ,
हाये , हजारो ख्वाहिशे ऐसी | H.P.RAHI
मुफलिसी – गरीबी |
nazar ( shayri )
उठी वोह नज़र के बहोत इब्तेदा से यु ,
अशआर बने ग़ज़ल और ग़ज़ल किताब हुयी |H.P.RAHI
karvat ( shayri )
काली अँधेरी रात, औंधी पड़ी हुयी ,
किस ओर सवेरा ? करवट ले तो जाने |H.P.RAHI