बस एक उल्फत ने धुआ कर दिए मेरे हसरतो के चिराग ,
कभी तूफ़ान से कश्ती बचाना इतना आसान तो न था | H.P.RAHI
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savan ( shayri )
याद आती है वोह आग बहोत , जिसे बुझे हुए ज़माने हो गए ,
के कभी सावन बीत जाया करता था हर बरस , और अंगारे फिर भड़क उठते थे | H.P.RAHI
deewana ( shayri )
वो कहते है , ग़ज़ल से दोस्ती अच्छी नहीं “राही” ,
पर मैं अगर शायर न होता तो दीवाना होता | H.P.RAHI
jafa ( Shayri )
जफा की राह में हम तो वफाओ से गए ,
दिलजलो से मिल गए और दिल जला के आ गए | H.P.RAHI
shauk ( Shayri )
तेरे दरे आस्ता , सबब बेकसी मेरी ,
गर मैं तेरी जरूरत नहीं , तो तेरा शौक ही सही | H.P.RAHI
uuns ( Shayri )
उन्स उठते है तो जिगर के छाले मेरे रो पड़ते है ,
के आग बुझाकर मैं उनपे राख मल देता हूँ ,
मेरी जिंदगी का रंग बहोत धूसर सा लगता है मुझे | H.P.RAHI
hizr ( Shayri )
वोह जुबा पर क्यों ऐसे आता है ,
दिल जलाता है चला जाता है ,
उस दिलरुबा को जाने क्या कहिये ,
जो ख्वाब को भी हिज्र बना जाता है | H.P.RAHI
हिज्र – जुदाई |
manhusiyat ( Shayri )
वोह रहगुज़र मेरी रहगुज़र रहे ,
साथ चलने से कुछ इत्तेफाक हो जाते है |
अपनी मनहूसियत की चर्चा करता फिरता हूँ ,
साथ चलने वाले कुछ करम कर जाते है |H.P.RAHI
Hum hi hum na rahe ( Shayri )
हाय उल्फत ए मुसीबत, जब भी पड़ी , भारी पड़ी ,
तुम तो आखिर तुम ही थे , हम ही हम न रहे | H.P.RAHI
Salaam Jaipur ( Shayri )
इस शहर की हवाओ ने मुझसे गले लग कर कहा ,
देख जितने ख्वाब तू, मिल के हम पुरे करेंगे |
जिंदगी एक जश्न है और जश्न यह खुलकर करेंगे |H.P.RAHI
Phursat ( Shayri )
बहोत ढूंढता रहता हूँ कुछ पल फुरसत के लेकिन ,
वक़्त उदास सा किसी कौने में छुपा रहता है |
मुझसे नाराज़ है शायद |H.P.RAHI
jangju ( Shayri )
कहा टिकता है कोई जर्रार मेरे सामने , आज दिल जंगजू बहोत है |
रहेगा आसमान भी मेरे कदमो तले , आज परवाज बुलंद बहोत है | H.P.RAHI
जर्रार – बहोत बड़ी सेना , परवाज़ – उडान |
sazda ( Shayri )
सजदा मुनासिब हो अगर वादाखिलाफी हो जाये ,
बेकसी पर नज़र से भरी कुछ खता तो हो जाये |H.P.RAHI
बेकसी – बेबसी |
jaroori to nahi ( Shayri )
देखना चाहे कोई उनको तो हर जगह देखे ,
पर हर नजारे की नज़र हो यह जरूरी तो नहीं |
उनकी आँखों के निशाने से ही मर जाए लेकिन ,
उस निशाने पर यह दिल हो यह जरूरी तो नहीं |H.P.RAHI
ummeede mitati chali gayi ( Shayri )
wrote after getting harassed with kota exeperience.
उम्मीदे मिटती चली गयी , रास्ते जलते चले गए ,
जिंदगी का सफ़र चल न पाए हम , हर दिन हर रात मरते चले गए |
उफनती नदिया सागर सी लगने लगी , सुखी हुयी नहरे सहरा सी लगने लगी ,
बिगडे आसान काम भी , हम खुद को ठगते चले गए |H.P.RAHI
सहरा – रेगिस्तान |
woh nadi kuch yu bahi ( Shayri )
रात की खामोशियों को सुनना हमको आ गया ,
वोह नदी कुछ यु बही कि सागर ही मिलने आ गया | H.P.RAHI
jine ke bahane bahot hai ( Shayri )
दिल रोता है , होंठ मुस्कुराते है ,
मुस्कुराने के बहाने बहोत है |
मायूस हो जाता हु रोज मगर ,
जीने के बहाने बहोत है |H.P.RAHI
chalka chalka paimana ( Shayri )
यह झूठो की बस्ती है , यह मुर्दों का तहखाना है ,
इनसे क्या लेना देना मुझे , अपना हमदम तो विराना है |
अब साजे सागर क्या कहिये , छलका छलका पैमाना है ,
जो बीत गए वोह दिन थे मेरे , है शाम जिसे अब जाना है | H.P.RAHI
intezaar ( Shayri )
हम रात जागते रह गए , हम राह तकते रह गए ,
शायद वोह मोड़ मुड गए होंगे , या हम ही किसी की मंजिल न थे | H.P.RAHI
tere karam ( Shayri )
हमारे गुनाहों की दास्ताँ लिख रहा हूँ मैं ,
कभी जीत तो कभी हार लिख रहा हूँ मैं ,
मेरे गुनाहों को माफ़ करने वाले ,
मुझ पर कर न सके जो तुम , वोह करम लिख रहा हूँ मैं | H.P.RAHI