गुमशुदा मिल गया वजुद मेरा ,
सरे राह जो खोया था जानशीं मेरा ।
तिरे जहां में कुछ तो मिला मुझे ए खुदा ,
वोह तसव्वुर के इरादों का नज़ारा मेरा ।
बंदिशे इश्क फ़साने को जाने क्या कहिये ,
बंदिशों का करम ही तो है मुकद्दर मेरा ।
तुमको देखे के शबे आफताब देखे ,
क्या क्या नहीं है आज जमाना मेरा ।
ख़ुशबुओ की चमन को आहट है ,
सुनते रहिएगा आप आज फ़साना मेरा ।
रूबरू देखा जो सहरा-ओ-समंदर मैंने ,
याद आ गया वोह मिलन था जो तुम्हारा मेरा ।
H.P.RAHI