लम्हा लम्हा जिंदगी के आशियाने बीत गए ,
दीवानगी में बेखुदी के वो ज़माने बित गए |
ले जा रहे हो क्या यहाँ से ? क्या मिला होगा तुम्हे ?
दीदावारे हुस्न के , मयकशी के , वोह ठिकाने बित गए |
जर्रा जर्रा जोशे जूनून खो गया , गुम हो गया ,
ए दिल तेरी जिन्दादिली के , वोह फ़साने बित गए |
बेनाम तिशनगी सताए , दिल जलाये सहरा सहरा .
ए समंदर आज तेरे वोह नज़ारे बित गए |
बेखुदी – नशे में , दीदावर – दर्शन , तिशनगी – प्यास , सहरा – रेगिस्तान |
H.P.RAHI