तू याद बहोत आया कल रात ,
और रात थी जो ख़तम ही न हुयी |
ऐसे सितम सहता हूँ हर रात ,
और एक तेरी आमद है , हर बार टलती रही |
एक आहट से भी तेरी जो सुकून मिलता था मुझे ,
वोह आहटे ही मेरे दिल का घाव हुयी |
थोडा और , थोडा और , थोडा और इंतज़ार ,
कुछ ही सासों की बात है , अटकी हुयी | Deeps